वर्षाभिनंदन
वर्षाभिनंदन
नया स्वप्न जगाओ तुम
भविष्य अपना बनाओ तुम।
समृद्ध परम्पराओं का मान बढ़ाकर
तन-मन की प्रगती साधो तुम।।
भेद-भाव मिटाकर मन से
नूतन वर्षाभिनंदन मनाओ तुम।
हरा-भरा धरती का यौवन
जैसे नव वधु-सा सोलह श्रृंगार।।
कोयल का अनवरत गाना
अंबिया का महकना बहरना।
फूलों की रंगबिरंगी डालियाँ
महका सुगंध महकी बगिया।।
भेद-भाव मिटाकर दिल से
नूतन वर्षाभिनंदन मनाओ तुम।
प्रकृती के संग हाथ मिलाकर
भेद-भाव को त्याग दो तुम।।
प्रकृती हमेशा से रहती साथ
करे सब मिलजुल कर राज।
अमूल्य है जीवन अपना
छूटे ना साथ हमारा सब से
नूतन वर्षाभिनंदन मनाओ तुम।।