राजदार
राजदार
बतलाना चाहती कोई बात,
कुछ छिपाना चाहती।
लकीर काजल की रोकती,
लक्ष्मण रेखा सी।
राज़, आसमान के तारों से
अधिक छुपाती।
छलक जाते कभी कभार ,
बन कर पानी।
सफाई से, सलीके से,
पोंछना सर झुका कर।
राज़ को राज़ रखने की,
प्यारी सी कोशिश।
बेनकाब होने नहीं देगी।
यकीं है, प्यारी आंखों पर।
