STORYMIRROR

Abhilasha Deshpande

Inspirational

4  

Abhilasha Deshpande

Inspirational

कही रुप कही छांव

कही रुप कही छांव

1 min
253

कहीं शहर कहीं गांव, 

रिश्तो के उखड़े पांव।

फिर नहीं कहीं ठाव,

 कहीं धूप कहीं छांव।


सुख-दुख का सफर, 

धूप छांव के है डगर। 

दौड़ती न कागजी नाव, 

कहीं धूप कहीं छांव।


है भगवान के माया 

कहीं धूप कहीं छाया 

कहीं प्रकृति ने रुलाया 

कभी सबको हंसाया। 

आए प्रेम के जगाए भाव, 

कहीं धूप कहीं छांव।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational