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Abhilasha Deshpande

Tragedy Inspirational Children

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Abhilasha Deshpande

Tragedy Inspirational Children

बाल मजदूर

बाल मजदूर

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बचपन से काम की आदत,

तन की होगी भी मजबूती।

भले बाल बौना ठिगना होगा,

सस्ती होगी उनकी जूती।।


भरे पड़े बेरोजगार जहां,

उनको दे न पाते हो रोजगार।

क्या करोगे शिक्षा देकर,

और बनाओगे हमें बेकार।।


शिक्षित हो श्रम न करेंगे,

तुम दे नहीं सकते रोजगार।

अर्थ की पूर्ति हो न सकती,

कहां से कैसे करें व्यापार।।


तुम कहोगे कर्ज ले लो,

कर लो अपने व्यापार।

लाभ हानि नहीं स्ववश में,

फिर क्या तोड़वाऊं दीवार।।


एक तो जातिगत भेद डाला,

दूसरा चलाया है आरक्षण।

तीसरा छूताछूत का भेद,

चौथे योग्यता का है भक्षण।।


प्रथम श्रेणी गली में भटके,

द्वितीय श्रेणी बैठे आसन।

सारी योग्यताएं हुईं बेकार,

इसे दुशासन कहूं या सुशासन।।


इससे बेहतर तो यही जीवन,

बचपन से करूं श्रम से लड़ाई।

श्रम से हमारा पेट तो भरेगा,

क्या करूंगा मैं करके पढ़ाई।।


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