वर्षा की बूंदें
वर्षा की बूंदें
अंबर ने धरा को,
पैगाम भेजा है,
वर्षा की बूंदों के जरिए,
बहुत सा प्यार भेजा है
बारिश की बूंदों में नहा कर,
धरती इतराई है,
पाकर प्यार गगन का----
और हरियाई है
बूंदों का नर्तन देख-देख,
मन--मयूरा नाच उठा,
तेरी यादों की बूंदों से,
दिल मेरा भी भीग गया,
अक्सर यूं ही,
वक्त बेवक्त-----
तेरी यादें बरस जाती हैं
बूंदों की तरह---
दिल को मेरे, तेरे प्यार से----
सराबोर कर जाती हैं,
बरसाती बूंदों से धरा भीग रही
और
तेरी यादों से मैं,
अंबर------- धरा के संग संग
जी रही------ तेरे प्यार के एहसासों को
हंसाती है------ रुलाती हैं
बेचैन कर जाती हैं-----
तेरी यादों की बरसाती बूंदें
रह रह कर तड़पाती हैं।

