आया नही वसन्त
आया नही वसन्त
कुछ लड़कियों के जीवन में
कभी वसन्त नहीं आया,
सीधे शादी हुई
पति ने प्रणय- मिलन किया,
बिना सहमति के
बिना इच्छा जाने
साथी की, और अनचाहे
मातृत्व भार से लाद दिया।
खेलने पढ़ने के दिनों में
अम्मा तक का सफर,
बिना खुशियॉं जाने
बिना कुछ महसूस किये,
पूरा हो जाता,
और वसन्त मौसम में ही नहीं,
भाग्य में भी
कभी नहीं आ पाता।
दिल की कोठरी में
बन्द जज़्बात
दिल में ही रह जाते,
जिन्दगी पराधीनता में जकड़ी
किसी तरह चलती जाती,
मन अपने सपने बुना करता,
कभी आज़ादी की साँस मिलेगी
तो पन्नों में उद्गार उड़ेंगे।
