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Dr Abhimanyu Parasar

Fantasy

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Dr Abhimanyu Parasar

Fantasy

मुझको लौटा दो वो कालेज के दिन.

मुझको लौटा दो वो कालेज के दिन.

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मुझको लौटा दो वो कालेज के दिन, 

वो फ़ानु भाई की चाय, समोसा और मटर,

 टूट पड़ते थे हम इस कदर। 


वो आपस में मिलकर खेलना

अभिमन्य, प्रकाश, अमित, पन्नालाल,

लोहान ,रविंद्र का एक साथ खाना

याद आता है वह हॉस्टल का जमाना।


वो एग्जाम के दिनों में रातों का जागना,

एक दूसरे के नोट से पढ़ना 

बार-बार डेट शीट चेक करना

परीक्षा शुरू होने से पहले ही

खत्म होने पर क्या-क्या करेंगे

ये सपने देखना ।


वो परीक्षा हाल में चुप बैठना मौका मिलते ही

दाएं बाएं झांकना बड़ा याद आता है .....

बस यार यह बता दे.....

बस पाणिनी के सूत्र दिखा दे

यार हिंट दे दे बस .....

यह कह कह कर सबको परेशान करना।


वो कालेज के दिन दोस्तों का फसाना।

याद आता है बस वो हॉस्टल का जमाना,

वो एक साथ नहाना,

कालेज की घंटी का बजना,

फिर एक साथ दौड़ जान ,

आज भी याद आता है

वो गुजरा हुआ पल सुहाना।


वो रातों का पढ़ना,

गोल चक्कर पर जाकर चाय पीना,

आकर के खेलना,

याद आता है गुजरा पल सुहाना।


वो सर्दियों की धूप में पार्क ग्राउंड में बैठना,

बातें करते करते वो छोटी-छोटी घास का

उखाड़ना बड़ा याद आता है,

वो ग्रुप में बैठकर हर आने-जाने वाले पर कमेंट पास करना,

वो कॉलेज के दिन और दोस्तों का फसाना,

"पाराशर "भूले से भी नहीं भूलेंगे वो हर पल सुहाना ।


वो छुट्टी का दिन बिट्स में बिताना ,

मन की टेंशन को बिरला मंदिर में भगाना,

आज भी याद आता है वो पल सुहाना।


वो बुधवार के दिन का इंतजार करना।

 गणेश जी के मंदिर में जाना, तिवारी सर का सत्कार करना,

 वो मिलना जुलना आज भी याद आता है वो पल सुहाना ।


वो शाम की यादें वो पल सुहाना

पार्क में बैठकर घंटों बतियाना,

एक दूसरे का हालचाल जाना

आज भी याद आता है वो पल सुहाना ।


वो हॉस्टल के साथियों को आदर देना,

शास्त्री जी,आचार्य जी ,कहकर बुलाना ,

भारतीय संस्कृति की परंपरा को निभाना,

 

वो कॉलेज के वार्षिक उत्सव की पहले से तैयारी करना,

और वार्षिक उत्सव के दिन अपने पुरस्कार का इंतजार करना,

आज भी याद आता है वो पल सुहाना,


 कि काश : कोई लौटा दे वो पल पुराना,

 "पाराशर" भूले से भी नहीं भूलेंगे वो हर पल सुहाना।



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