माँ का कर्ज - -
माँ का कर्ज - -
जिंदगी में न रहा वफा का साया,
मां से बढ़कर नहीं कोई धन माया,
कर्म करें मां की ममता अपने और पराए मेंं,
इस सृष्टि के सारे प्राणी पले हैं,
इसके साए में,
सब ने उर्जा पाई है इसके ही पय-पान
से आज तक कर्ज नहीं चूक पाया
माँ का किसी संतान से।