गुरु चरणों में
गुरु चरणों में
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प्रथम गुरु तेरे चरणों में शीश हमने झुकाया है,
तेरे चरणों की धूलि को प्रभु माथे लगाया है,
मैं बनना चाहता अर्जुन प्रभु, तुम द्रोण हो मेरे ,
तेरे तरकस को कान्धे पर
प्रभु कब से सजाया है ,
मैं बनना चाहता केसव प्रभु, तुम संदीपन हो मेरे,
तेरी खातिर लडू यम से, यही मन में बसाया है, विवेकानंद बना देना प्रभु,
तुम हंस हो मेरे,
देश का नाम कर जाऊं यही
मन में समाया है,
बना देना मुझे दक्ष प्रभु
परब्रह्म हो मेरे,
हकीकत है ये "पाराशर" तुझे अपना बनाया है