दोस्ती
दोस्ती
एक रिश्ता, एक आशा, एक मनोबल, एक साहस, एक किरण,
पल पल होती जाती है गहरी, जब ह्रदय से होता स्मरण।
जन्म होता है इस रिश्ते का एक छोटी मुलाक़ात से,
जैसे एक नवजोत शिशु ने जन्म लिया हो गर्भ से। (1)
शनैः शनैः तीव्र होती जब रफ़्तार, सुख दुख बाँटने पर किया जाता विचार।
धन दौलत को कर दरकिनार, अपनापन बनता है हथियार। (2)
पाठशाला, उच्च शिक्षा, कार्यालय, मंत्रालय या फिर हो कारोबार,
चारो दिशाओं में व्याप्त इसकी बुनियाद, मृत्यु से परे यह रिश्ता है आबाद। (3)
जात पात धर्म से मुक्त यह बंधन, सारी दहलीज़ लाँघ लेता है,
जब विश्वास रुपी ज्वाला अंतरात्मा से टकराती है,
हर कदम साथ चलने का भेद बताती है। (4)
हर दर्द नहीं मिटता सिर्फ उपचार से, दोस्ती भी अहमियत रखती इस संसार में।
बालावस्था या किशोर या हो वृद्ध अवस्था, इस रिश्ते की नहीं कोई पराकाष्ठा। (5)
इरादे मजबूत और दृढ निश्चय, ना हारने का डर ना मन में कोई भय,
विपदा का अंत तथा दुश्मनों की पराजय, काबिल दोस्त नहीं करते इसमें कोई संसय। (6)
सतयुग से कलयुग जब अग्रसर हुए, परिवर्तन का एक सैलाब आया,
झोपडी से मकान हो गये, लैंडलाइन से मोबाइल हो गये,
स्थिरता की मिशाल दोस्ती नदियाँ बन निरंतर बहती रही। (7)
ह्रदय से कर इस बात का विश्वास
माता, पिता, भाई, बहन, शिक्षक आदि रूपों का होता है आभाष,
एक दोस्त में व्याप्त है अनेक रिश्तो का एहसास। (8)
इस लीला के स्वयं साक्षी थे भगवान श्रीराम कहो, श्री कृष्ण कहो या पवन सूत,
उनके आचरण को जब ग्रहण करता है इंसान,निरंतर कायम रहती रिश्ते की शान। (9)
हर स्थान की कीमत शून्य है, जहाँ दोस्ती पायी गयी वीरान,
अपितु करता हूँ आपसे आह्वान, ह्रदय से कर इसका सम्मान। (10)