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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Romance Fantasy

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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Romance Fantasy

चाय का वो प्याला

चाय का वो प्याला

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वो सुहानी सी सुबह

जब मांगा मैंने चाय का प्याला

तुम छन छन करती यूं उठीं

हौले से आ के मेरे पास तुम्हारे लवों ने

मेरे कानों में प्यार से कहा ,अभी लाती हूं


वो तुम्हारा शरारती अंदाज

ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे कानों में रस सा

घोल दिया हो,

मैंने भी शरारत करते हुए जब झटके से

थामा तुम्हारा हाथ तब तुम लाल हो गयी

शर्म से, मानो किसी ने गुलाब की

पंखुड़ियों को हल्के से छू लिया हो।

तुम छन छन करती हुई गई रसोई में

अपने मखमली हाथों से

गैस चलाकर तुमने चाय का भगोना गैस पर रखा

और अदरक की सोंधी सोंधी महक

मेरे उस पल को महकाने लगी

वह इलायची की खुशबू


ऐसी लग रही है जैसे कि तुम तैयार हो कर

महक जाती हो।

और चाय पत्ती पानी में जाते ही

ऐसे शर्म से लाल हुई

जैसे तुम्हारा हाथ पकड़ते हैं

तुम शर्म से लाल हो जाती हो


चीनी पत्ती के साथ ऐसे मिली

जैसे हम और तुम एक होकर

एक दूसरे में खो जाते हैं।

दूध डाल के चाय का उफ़ान ऐसे बाहर आया

जैसे तुम मेरे आगोश में आने के लिए मचल जाती हो।


जब तुम लेकर आए वो चाय का प्याला

उसकी महक से फिर से मदहोश हो गया मैं।

तुम्हारे हाथ की चाय हो या तुम्हारे इत्र की

महक मुझे हमेशा याद आती है

मेरे दिन की शुरुआत करती तुम

और वो चाय का प्याला।


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