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मिली साहा

Abstract Drama Fantasy

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मिली साहा

Abstract Drama Fantasy

कविता और कलम संवाद

कविता और कलम संवाद

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कविता: कलम तुमसे ही तो मेरा वजूद है

मेरी सुंदरता का यह एक सबूत है

कलम: दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं

मिल जाते जब दोनों हो जाते पूरे हैं

कविता: रंग बिरंगी सी मैं तुमसे निकलती

जब कहीं पर जाकर छप जाती हूं

तुमसे ही दुल्हन की तरह सजकर

तारीफ अपनी सब जगह पाती हूं

कलम: पाठकों के दिल में जब उतरती हो

तो मेहनत मेरी सफल हो जाती है 

एक सुंदर रिश्ता हम दोनों के बीच

फिर इन भावनाओं से बन जाती है


कविता: दोनों ने मिलकर इतिहास बनाया है

सच्चाई का पाठ मिलकर पढ़ाया है

हर एक बेजुबान की जुबान बनकर

हक उनका सच्चाई से दिलवाया है

कलम: बिल्कुल सही तुमने यह बात कही है

हम दोनों ही एक दूसरे की ताकत हैं

साथ मिलकर जब हम काम करते हैं

रोकने की नहीं किसी की हिमाकत है

कविता: तुमने हर कदम पर साथ निभाया है

तुमसे ही यह सब संभव हो पाया है

तुम ही तो मेरी कल्पना की प्रेरणा हो

दिल से शब्द निकालती तुम चेतना हो      

 

कलम: जब सुनी किसी के टूटने की आवाज़

तब तुमने दिखाया सब साफ- साफ

जब देखा कहीं पर किसी को उदास

तो उजागर की उसकी अनकही बात

कविता: तलवार से ज्यादा तेज तुम्हारी धार है

तुम्हारे बिना नहीं मेरा कोई आधार है   

     

कलम: सच का आईना दिखाने में मददगार हो

तुमसे ही मेरा वजूद तुम्हीं मेरा प्यार हो

अगर कविता और कलम ना होते

तो दिल के अल्फाज पन्नों पे ना उतर पाते।

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