ज़ब मैं उसे देखकर मुस्कुराई
ज़ब मैं उसे देखकर मुस्कुराई
जब मैं एक अजनबी को देखकर मुस्कुराई,
ऐसा लगा दिल की बगिया में कली चटकाई !
तब तो बात कुछ मेरी समझ में नहीं थी आई,
मोहब्बत की शुरुआत ऐसी होती है मेरे भाई !
रात और दिन का कोई भी ख्याल नहीं रहता,
वह अजनबी फिर कोई अजनबी नहीं रहता !
एक अंजाना बन जाता है कब बेहद अपना,
और पूरा हो जाता है जीवनसाथी का सपना !
तभी कहते हैं, दिल का रिश्ता बड़ा प्यारा है,
अब तो यह अजनबी ही दिलदार हमारा है !

