अप्रैलफूल .......एक मंथन
अप्रैलफूल .......एक मंथन
फूल खिले मन के अप्रैल में,
बस कहो पा रहे हो फूल।
हमें कभी नहीं लगे,
कुदरत के प्रतिकुल।
सब प्रकृति के अनुकूल,
हाँ सोचे भूल।
फूलों से लदें वृक्षारोपण,
महके डाली पूरी दुनिया को फूल।।
हम लोगो ने भूला दियो
यही हम सबकी भूल।
फूल फूल समझे हुए हैं,
हम बन बैठे अप्रैल फूल।।
