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Bhawana Raizada

Abstract Classics Inspirational

4  

Bhawana Raizada

Abstract Classics Inspirational

पंख फैलाकर उड़ने दो

पंख फैलाकर उड़ने दो

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पंख फैलाकर उड़ने दो, 

जी भर के खिलने दो। 

एक नई उमंग के साथ, 

आज फिर मचलने दो। 


बढ़ाने दो, दो कदम मुझे

अपनी चाल तो चलने दो। 

थमी हुई रफ्तार को

गेयर डाल बढ़ाने तो दो। 


पंख फैलाकर उड़ने दो, 

जी भर के खिलने दो। 

एक नई उमंग के साथ, 

आज फिर मचलने दो। 


नापनी है गहराई समुद्र की

मुझको डुबकी लगाने दो। 

छोड़ दे जो अपने निशां

रेतों को गले लगाने दो। 


पंख फैलाकर उड़ने दो, 

जी भर के खिलने दो। 

एक नई उमंग के साथ, 

आज फिर मचलने दो। 


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