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Damyanti Bhatt

Classics

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Damyanti Bhatt

Classics

चाँद-सितारे तो न दे

चाँद-सितारे तो न दे

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चांद सितारे तो न दे 

तंग लम्हों में

 हाथ जरूर पकड़ ले


चांद और नींद के बीच

आंखें डब डब करती

चांद और सितारे

चले जाते

बस मेरी भोर

नहीं आती

 

झरनौं की मीठी तान

वन नदियों के गीत सुनूं

मधुर सुन्दर

आंगन में तुलसी के पत्तों पर

अपनी प्रीति लिखूं


प्रीत न हो जीवन में

संसार अधूरा है

चांद बिना तेरे संसार अधूरा है

तुम बिन धरती का

अमरत्व अधूरा है

विरहिन हैं जग में कितनी

तू धरती पर आजा


धरती पर वहशीपन 

अकेलापन पनप रहा

निगल लेना चाहता है

प्यार सत्कार और ऐतबार

आंगन ,कुर्सी ,बिस्तर,

घरबार

काजल, बिंदी

कंगन, बाली

 सब पर कस लग गया

देख गगन से

ये संसार

रीत न हो धरती पर

सिंगार अधूरा है।


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