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Aditya Srivastav

Classics

3  

Aditya Srivastav

Classics

ग्लोबल विपदा

ग्लोबल विपदा

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मिलते थे गले गर्मजोशी से जो

आज कतराते हैं हाथ मिलाने से

दिखता नहीं है आँखों से पर

फैले है गले लगाने से,

पसरा सन्नाटा सड़कों पर


बंद वाहनों के करकस हॉर्न क्यूँ हैं !

क्यों पड़ा है मानव घर पर में

ख़ाली सड़कें शमशान क्यूँ है !


धमकाते थे परमाणु से जो

डरके पड़े हैं सूक्ष्म विषाणु से

है पृथ्वी आज सूनसान पड़ी,

क्या चीन के काले जादु से ?


विकास की बंदरबांट में इस

अर्थव्यवस्था में आई ढ़लान क्यूँ है !

बैठे थे सिंहासन पे विश्वपटल के

वो मोदी-ट्रम्प परेशान क्यूँ हैं ?


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