Aditya Srivastav
Abstract
दर्द?
था ना !
कब तक?
जब तक लिखा नहीं था...
जब लिख दिया तब..!?
तब...;
तब तो वो नज़्म,ग़ज़ल या शायरी हो गया!!
पापा
नज़्म, गजल,शाय...
चाय की एक चुस...
भीड़ में तन्हा
दिल की बात
एहसास-ए-दिल
कलयुगी मानव
ग्लोबल विपदा
चाँद चमक जाता...
एक सैनिक की क...
कभी हार तो कभी जीत से, ये रास्ते ज़िन्दगी के इस सफ़र में, कभी हार तो कभी जीत से, ये रास्ते ज़िन्दगी के इस सफ़र में,
मन के अंतरंग कोनों से छन छन कर आती भावनाएं रचती हैं कविताएं। मन के अंतरंग कोनों से छन छन कर आती भावनाएं रचती हैं कविताएं।
एक हल्की सी हँसी को हमारी, कत्ल ~ए ~आम का नाम दिया।। एक हल्की सी हँसी को हमारी, कत्ल ~ए ~आम का नाम दिया।।
इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला ! इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला !
डूबने वाले का उदय निश्चित है बस भोर का इंतज़ार करने में आलस ना हो। डूबने वाले का उदय निश्चित है बस भोर का इंतज़ार करने में आलस ना हो।
इसीलिए मुझसे ही मुझको, कई बार तूने ही मिलवाया है। इसीलिए मुझसे ही मुझको, कई बार तूने ही मिलवाया है।
तब हरेक बिस्तर के पास एक पियानो भी होना चाहिये। तब हरेक बिस्तर के पास एक पियानो भी होना चाहिये।
भरा होता है कुछ विचित्र आकर्षण। भरा होता है कुछ विचित्र आकर्षण।
वो बचपन के दिन सपनों जैसे झिलमिल। वो बचपन के दिन सपनों जैसे झिलमिल।
कारण क्या था पता नहीं, थी मेरी कोई खता नहीं। कारण क्या था पता नहीं, थी मेरी कोई खता नहीं।
मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया। मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया।
प्यार की ये शमा जल रही है इधर भी उधर भी, दोनों तरफ ही मिलने की चाहत एक सी लगी हुई है, प्यार की ये शमा जल रही है इधर भी उधर भी, दोनों तरफ ही मिलने की चाहत एक सी लगी...
जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये। जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये।
जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूरा करते दे जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूर...
आ गए वापिस फिर से मेरे पास क्या काम है बोलो तभी आए हो इधर आ गए वापिस फिर से मेरे पास क्या काम है बोलो तभी आए हो इधर
दो पल ही खिलना यहाँ, फिर सब माटी धूल। दो पल ही खिलना यहाँ, फिर सब माटी धूल।
तुम कभी ये कह नहीं सकते किस में कम किस में ज्यादा है। तुम कभी ये कह नहीं सकते किस में कम किस में ज्यादा है।
और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार। और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार।
सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें मलते देखती थी तुम सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें ...
ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ मैं। ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ म...