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Aditya Srivastav

Tragedy

3  

Aditya Srivastav

Tragedy

भीड़ में तन्हा

भीड़ में तन्हा

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कितना मुश्किल होता है ना जीना,

जब कोई अपने जैसा पास न हो...

भीड़ में होकर भी तन्हा होना और ...

ज़माने से हमदर्दी की आस न हो!


ख़ुद ही ख़ुद में रहना

ख़ुद से ही ख़ुद की कहना

आईने में खुद को देख के रोना

और फिर आँसू पोंछ के ज़ोर से हंसना


अजनबी तो हो कोई भी ना

मगर दिल के लिए कोई ख़ास न हो,

कितना मुश्किल होता है ना जीना,

जब कोई अपने जैसा पास न हो...


भीड़ में होकर भी तन्हा होना और ...

ज़माने से हमदर्दी की आस न हो!


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