Aditya Srivastav
Classics
कब तक सुनता रहूँ मैं उनकी
होते जो अक़्सर साथ मेरे !
कब तक मैं उनका दिल रखूँ
खुद मेरा दिल भी पास मेरे !
दिल मेरा शहद का प्याला हाँ
कड़वे हैं पर अल्फाज़ मेरे!
पापा
नज़्म, गजल,शाय...
चाय की एक चुस...
भीड़ में तन्हा
दिल की बात
एहसास-ए-दिल
कलयुगी मानव
ग्लोबल विपदा
चाँद चमक जाता...
एक सैनिक की क...
हैं आज भी दुर्योधन कुटुंब समाज में दृष्टित करते पंचाली को पर नारी में । हैं आज भी दुर्योधन कुटुंब समाज में दृष्टित करते पंचाली को पर नारी में ।
जीवन के संघर्ष से जो, मान लेता है हार, त्याग वीरता कायरता, करता है स्वीकार। अपनी चादर के अनुरूप, ज... जीवन के संघर्ष से जो, मान लेता है हार, त्याग वीरता कायरता, करता है स्वीकार। अप...
प्रेम, स्नेह, मानव से मानवता पाने की, मंजिल एक है शांति, प्राप्ति की हजारों राहें। प्रेम, स्नेह, मानव से मानवता पाने की, मंजिल एक है शांति, प्राप्ति की हजारों र...
कठिन परीक्षा सिय को पाने की, राजकुमार धुरंधर आए थे, शिव धनुष तोड़ना शर्त रखी थी। कठिन परीक्षा सिय को पाने की, राजकुमार धुरंधर आए थे, शिव धनुष तोड़ना शर्त रख...
सच में औरत बहुत सस्ते में बिक जाती है प्यार के दो बोल को तरस जाती है बस खोजती है अपने सम्मान को क... सच में औरत बहुत सस्ते में बिक जाती है प्यार के दो बोल को तरस जाती है बस खोजती ...
छल से रावण ने वन में, सीता का अपहरण कर लिया। छल से रावण ने वन में, सीता का अपहरण कर लिया।
पत्तियों ने छोड़ा साथ तो क्या क़ुदरत ने तुझे मोतियों से सजाया है। पत्तियों ने छोड़ा साथ तो क्या क़ुदरत ने तुझे मोतियों से सजाया है।
वो महलों की अधिकारी है, पर वन के कष्टों को सहती है, वो महलों की अधिकारी है, पर वन के कष्टों को सहती है,
राम लखन सीता संग गए गंगा तीरे, केवट देख नाथ नैनन में अश्रू भर लिए। राम लखन सीता संग गए गंगा तीरे, केवट देख नाथ नैनन में अश्रू भर लिए।
जटा जुटी ऋषि वीर अनोखा अद्भुत सा तेज तरार। भीषण क्रोध इनमें था व्याप्त गणपति पर किये जटा जुटी ऋषि वीर अनोखा अद्भुत सा तेज तरार। भीषण क्रोध इनमें था व्याप्त गणपति...
वन में सिय को वाल्मीकि ने, आश्रम में स्थान दिया। वन में सिय को वाल्मीकि ने, आश्रम में स्थान दिया।
अंदर से अपने स्वार्थ को निकाल बाहर तू फैंक। अंदर से अपने स्वार्थ को निकाल बाहर तू फैंक।
राम का राज्याभिषेक हो गया, अवध में सुख के दिन फिर आए थे। राम का राज्याभिषेक हो गया, अवध में सुख के दिन फिर आए थे।
अपने आराध्य के प्रति ऐसे शब्द, सिया से सहे नहीं अब जाते थे, अपने आराध्य के प्रति ऐसे शब्द, सिया से सहे नहीं अब जाते थे,
मिले बहुत शीघ्र या कुछ समय लगे, सब बाधाओं को ठुकराते ही चलें। मिले बहुत शीघ्र या कुछ समय लगे, सब बाधाओं को ठुकराते ही चलें।
कैकयी के संताप ने, राम को वनवास दिया। कैकयी के संताप ने, राम को वनवास दिया।
होने को कोई सच्चा सहारा नही होता। ख़ुद से ज़्यादा कोई प्यारा नहीं होता। गरज ख़त्म हुई फ़ितरत भी बदल ... होने को कोई सच्चा सहारा नही होता। ख़ुद से ज़्यादा कोई प्यारा नहीं होता। गरज ख़त...
अमर होकर भी जो मर गया, वो नाम अश्वत्थामा था।। अमर होकर भी जो मर गया, वो नाम अश्वत्थामा था।।
महाभारत का कारण थी या, पतितों का वो तारण थी! महाभारत का कारण थी या, पतितों का वो तारण थी!
हथेली पर उभरती मिटती कोई लकीर है। हाँ ये बंधी हुई कोई जागीर है। हथेली पर उभरती मिटती कोई लकीर है। हाँ ये बंधी हुई कोई जागीर है।