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Dipesh Kumar

Others Abstract Classics

4.0  

Dipesh Kumar

Others Abstract Classics

क्या पराई होती हैं बेटियां ?

क्या पराई होती हैं बेटियां ?

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अक्सर मैं सुना करता हूँ बेटियाँ पराई होती हैं। 

जन्म के बाद से ही लोग, कई जगह मतभेद करते हैं। 


पर बेटियों के ख्वाब क्या होते हैं, अक्सर वो दबे ही रह जाते हैं। 

वो सोचती हैं बनूँगी अधिकारी, नाम करुँगी रोशन सबका। 


पर जब वास्तविकता से सामना होता हैं, तब सब धरा रह जाता है। 

ख्वाब तो तब टूट जाते हैं, जब आगे पढ़ने के लिए सब रोकते हैं।


विवाह के लिए जब देनी होती परीक्षा तो वो मायूस हो जाती हैं। 

सब सही होने पर भी होती है आधुनिक दहेज़ की मांग। <

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जब दहेज़ का विरोध करती वो, माँ बाप कहते ये चलन हैं समाज का। 

फिर सबके सम्मान के खातिर दबा देती वो अपने ख्वाब। 


बचपन में क्या सोचा करती थी और अब क्या हो रहा हैं। 

विदाई के वक़्त आशीर्वाद मिला की जहाँ रहना खुश रहना। 


माँ बाप को लोग समझाते हुए कहते हैं ,चुप हो जाइये बेटियां तो पराए होती हैं। 

इन शब्दों को सुनकर लग ही गया की, वास्तव में बेटियां पराई होती हैं। 


यही पूछती हूँ समाज से क्या पराई होती हैं बेटियां ?

 



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