समान
समान
सूरज - चांद और सितारे
जल - जंगल और जमीन
स्त्री - पुरुष और समाज
मिलकर बनाते हैं दुनिया
और सबका मालिक एक
और वो भी अदृश्य- अद्भुत
काश देख लेता एक बार
या यूं ही बना दी दुनिया
अपना गुणगान करवाने को
गजब की क्रिएटिविटी है
किसी के पास जरूरत से ज्यादा
तो किसी के पास जरूरत भर भी नहीं
कैसे मान लूं कि सबका मालिक एक है।