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Sumit. Malhotra

Romance Classics

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Sumit. Malhotra

Romance Classics

सम संख्या में लिखी कविता

सम संख्या में लिखी कविता

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हां तुम,

जी हां सिर्फ तुम,

अजी मैंने कहा कहां हो गुम,

आपसे ही तो कह रहा हूं सुनो ना,

मैंने तो प्यार किया है तुमसे और क्या करते तुम,

सिर्फ ये नहीं बातें हैं सनम और सिर्फ बात लगती तो क्या।

हम है क्या आपके जी हां हम पूंछ रहे हैं आपसे ही ये सवाल,

आंखों आंखों में प्यार का किया इकरार तो अब लबों को भी दो आवाज।


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