गीता का सार
गीता का सार
गीता ज्ञान की ज्योति है
गीता है जीवन का सार
जन्म मरण तो निश्चित है
छोड़ो क्रोध और अहंकार।
कर्म करो फल- चाह नहीं
यही तो है गीता का सार
कर्म करना ही धर्म हमारा
अकर्म नहीं है अधिकार।
जबभी होवे धर्म की हानि
और अधर्म की हो वृद्धि
तब कृष्ण धरती पे आते
करते धर्म की उत्पत्ति।
सज्जनों के उद्धार हेतु
पापियों का नाश चाहिए
धर्म की स्थापना के लिए
कृष्ण प्रगट होना चाहिए
जो ईर्ष्या- द्वेष न करता
ना किसी की आकांक्षा
वही कर्मयोगी सन्यासी
जग -,बंधन मुक्त रहता
जन्म मिला है मानव का
तो मरण भी निश्चित है
अच्छे कर्म - धर्म करो
मानुष ही श्रेष्ठ जीवन है।
कर्म- क्षेत्र का ज्ञान देती
गीता जीवन काआधार
जीवन मूल्यों से परिपूर्ण
गीता है ज्ञान का भंडार।
जीवन तो ये नश्वर है
और आत्मा है अमर
निस्वार्थभाव सेवा करो
जीवन हो जाएगा तर।।