कैसा आया रे वसंत ?
कैसा आया रे वसंत ?


कैसा आया रे वसंत ?
सखि कैसा आया रे वसन्त
जीवन का हो गया मानो अन्त ?
पेड़ - पौधे खामोश लग रहे
निर्जीव मानो जैसे सो रहे
पलाश तो ऐसे लग रहे
मानो अंगारे से दहक रहे
किस -किस का होवेगा अन्त?
सखि कैसा आया रे वसन्त ?
युद्ध की चल रही आँधियाँ
मौत की सुना रही कहानियाँ
वीरों की बता रही जवानियाँ
आन पर मर मिटी छत्राणियाँ
गूँज बलिदान की दिक.-दिगन्त
सखि कैसा आया रे वसन्त ?
वीरों ने पहना बसंती चोला
सिर पर बांधा कफन का सेहरा
तोड़ा गाँव - परिवार से नाता
रणभूमि से बस उनका नाता
सर्वत्र तूफानों का न कोई अंत
सखि कैसा आया रे वसन्त. ?
रण में युद्ध - बाजे बज रहे ,
शस्त्र ले सैनिक आगे बढ़ रहे
ऊपर बर्फीली आँधियाँ बहे
सीने पर गोलियाँ सह रहे ।
कर रहे दुश्मन से भिड़ंत ।
सखि कैसा आया रे बसंत ?