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Asha Jakar

Fantasy Others

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Asha Jakar

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बेटी पी की नगरिया चली

बेटी पी की नगरिया चली

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बेटी पी की नगरिया चली

बेटी सब को रुला के चली

नयनों में नव दीप जले

मेरी तितली उड़ के चली।

अँखियाँ देखो बरस रही

सखियाँ देखो सिसक रही

बिटिया सदा सुखी रहो

ममता ये दुआ दे रही।

नाजो से पाला तुझे

गोदी में खिलाया तुझे

बाबुल रो - रो के कहे

बेटी सुख की बगिया सजे।

जीवन की डगर है बड़ी

पतझड़ न आए कभी

पायल छनकती रहे

खुशियों की बरसे झड़ी

जीवन में सबेरा हुआ

मेरा अंगना सूना हुआ

बस जोड़ी अमर रहे

खुशियों का उजेरा हुआ

सब का सम्मान करना

मर्यादा का ध्यान रखना

बेटी सदा सुहागिन रहो

सुख - दुख हँस के सहना।

तुम पति की प्यारी बनो

सास-ससुर की दुलारी बनो

ससुराल ही तुम्हारा घर

निज घर की रानी बनो।


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