'चल दूरभाष' या पनौती...???
'चल दूरभाष' या पनौती...???
जब ये 'चल दूरभाष' (मोबाइल फोन)
नहीं था, तब भी युवा
इतने आलसी और आरामपरस्त
नहीं हुआ करते थे,
जितना कि आज के युवा
यूँ अकल्पनीय मोहाच्छन्न अवस्था में
डूबकर यहाँ-वहाँ की
बेमतलब बातों में
अपना क़ीमती वक्त
ज़ाया कर
खुद गुम होकर
अपना 'बहुत कुछ'
खो दिया करते हैं...
फिर भी उन्हें
'चल दूरभाष' (मोबाइल फोन) पर
कुछ सलाह देते ही
वे अक्सर अपना-सा मुंह बनाकर
एक ऐसा भाव दिखाते हैं
कि जैसे उन पर अचानक
बिजली गिर गई हो !!!
ऐसे ही
'चल दूरभाष' (मोबाइल फोन) पर
अक्सर बेमतलब की बातें कर
रुपये एवं वक्त ज़ाया करना
आज के युवा वर्ग को
एक दिन बहुत
महंगा पड़ेगा...!
इसलिए 'हक़ीक़त की जद्दोजहद' से दूर
जो भी युवा आपके संपर्क में हैं,
उन्हें जितनी जल्दी हो सके
सतर्क करें
कि वे 'चल दूरभाष' (मोबाइल फोन) का सदुपयोग करना सीखें और
'तथाकथित नि:शुल्क' वार्तालाप
और एक दूसरे से निरंतर रूप में
'बेरसिरपैर' भावविभोर बातें कर
अपना और अपने माता-पिता
एवं गुरुजनों की
सुनहरे सपनों पर
पानी फेरना बंद करें...!!
उन्हें समझाएं कि वे
इस मूल्यवान 'चल दूरभाष' (मोबाइल फोन) को
इस्तेमाल करने में
थोड़ा एहतियात बरतें...!
केवल अपनी ही धुन में रहकर
आसपास रहनेवाले लोगों को
यूँ ग़ैरज़िम्मेदाराना तरीके से
कतई तकलीफ न दें...।
और ज़रा सुधर जाएँ...
यूँ 'चल दूरभाष' (मोबाइल फोन) पर
अपने 'निजी पलों को'
भीड़ भरी जगहों पर
जगजाहिर करने की
बुरी आदत से बाज़ आएँ...!!!