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हरीश कंडवाल "मनखी "

Fantasy

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हरीश कंडवाल "मनखी "

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इशारा तो कर दो

इशारा तो कर दो

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अगर तुम हमसे नाराज नहीं

फिर खफा खफा से क्यों हो

कह दो जो भी कहना है तुमको

नहीं कुछ कहना तो फिर चुप क्यों हो।


 हुई है गर हमसे कोई नादानियाँ

नादान समझ कर दुलार कर दो

दिल की आवाज को समझे हम कैसे

ऐसा कोई प्यार से इशारा तो कर दो।


 उम्र ही तो ढली है, दिल तो जवां है

बाल ही तो सफेद हुए, मन तो युवा है

जमाने ने भले हमें उम्र दराज बताया हो

मोहब्बत तो आज भी वहीं वैसे ही जिंदा है।


 ये मोहब्बत भी बड़ी अजीब है

गैरों को भी अपना बना देती है

जब इश्क होता है किसी से

खुद को भी इसमें लुटा देती है।



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