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Asha Jakar

Abstract

3  

Asha Jakar

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तुम जहाँ भी रहो मुस्कुराती रहो

तुम जहाँ भी रहो मुस्कुराती रहो

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तुम जहाँ भी रहो, मुस्कुराती रहो ,जीवन में खुशियों का आगमन

फूल खिलते रहे ,खुशबू देते रहे ,बस महकता रहे तुम्हारा चमन।

सुबह की उजली की धूप, चांद की शीतल किरण,

सीप का सच्चा मोती हो तुम ।

ओस सी निर्मल हो तुम, सुंदर कोमल हो तुम , बाग की एक नई कली हो तुम ।

फुल सी खिलती रहो ,मुस्कुराती रहो, जीवन में बहारों का हो आगमन।

फूल खिलते रहे ,खुशबू देते रहें, बस महकता रहे हो तुम्हारा चमन ।

हंसमुख हो तुम ,चंचल हिरणी हो तुम, दुख में सदा हँसती रहना

जब भी अवसाद घिरी ,तुम सहारा बनी,ऐसे ही सहारा बनी रहना ।

तुमसे खुशियां मिले ,नई आशा मिले ,तुम से ही खिलता मेरा चमन

तुम जहाँ भी रहो मुस्कुराती रहो जीवन में खुशियों का हो आगमन ।

नभ में बिखरे हैं तारे ,अगणित आशीष हमारे, चांद- तारे अंगना चमकते रहे

मृदुभाषी हो तुम ,अच्छी साथी हो तुम, दुख सुख में सदा साथ रहे।

नई खुशियां मिले ,नए दीपक जले ,जगमगाता रहे तुम्हारा सदन

तुम जहाँ भी रहो मुस्कुराती रहो जीवन में खुशियों का हो आगमन।

फूल खिलते रहे, खुशबू देते रहें ,बस महकता रहे यूँ तुम्हारा चमन।।


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