गौरैया
गौरैया
गौरैया
तुम फिर फिर आना
तुम ही तो लाई थी
इस धरा पर
मनु संतान के
अस्तित्व के दस्तावेज
तुम ही ने तो
आंगन आंगन बांटे
चहकने के संदेश
तुम ही ने तो सिखाया
तिनका-तिनका
घर बनाना
और एक दाल के
दाने से
सौंधी खिचड़ी पकाना
तुम्हारी आवाज़ में है
नन्ही हरकतें
तुम्ही से तो है
घर आंगन
की बरकतें
माना कि अब
अमीर दुनिया की
अमीरी अजीब है
तुम्हें दाना देने को
भी ये गरीब है
पर तुम
इस निर्मम मन को
फिर संवार देना
जतन-जतन घर बसते
तुम संस्कार देना
तुम फ़रिश्ते आसमां की
छेड़ो प्रेम तराना
गौरैया तुम फिर फिर आना।
