जिंदगी
जिंदगी
जिंदग्गी आज भी सरल सी है।
मौसिकी आज भी गजल सी है।
कौन कहता बहार है पतझड़।
सूखती डाल भी नवल सी है।
सज गए सेज भी चले आओ।
रात काली झुकी शकल सी है।
रोकती साँझ आज तरुणाई।
सिसकती साँस नव पहल सी है।
तेज आती घटा सफर मुश्किल।
जिंदगी तुम बिना बहल सी है।
मौसमे गम सता रही लेकिन।
सामने तू वफ़ा सफल सी है।
शोहरत झूठ है कहाँ टिकता।
साथ बस प्यार ही असल सी है।
बंदगी बन गई सजा अब तो।
प्यार करना यहाँ क़तल सी है।
लौट आओ जफ़ा नहीं करना।
थाम लो जिंदगी चपल सी है।

