STORYMIRROR

Dheeraj kumar shukla darsh

Classics

4  

Dheeraj kumar shukla darsh

Classics

पशुप्रेम

पशुप्रेम

1 min
257

पशुओं से करो प्रेम

जैसे अपनों से करते हो

दर्द उनके भी समझो

जैसे अपनों के समझते हो


साथ रहने वाले ही नहीं

प्रकृति के हर प्राणी से

हो सके जितना तुम प्यार करो

आंसुओं को उनके भी 


तुम महसूस करो खुद भी

दर्द सबको होता है 

प्रेम सबको मिलता नहीं

पशु भी चाहते हैं प्रेम


एक बार देकर देखो

गाय, बिल्ली या हो कुत्ता

खरगोश हो या फिर चुहा

चिड़िया 🐦हो या फिर मोर 


प्यार से आते पास सभी

एक बार प्यार से इनको

अपने गले लगाकर तो देखो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics