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सुरभि शर्मा

Classics

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सुरभि शर्मा

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गुनगुनाता मौसम

गुनगुनाता मौसम

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आज कुछ गुनगुनाने का मन है 

जी भर कर मुस्कुराने का मन है 

दिल की बातें आँखो से बताने का मन है 

कांटों को अनदेखा कर


 गुलाब की खुशनुमा से 

महक जाने का मन है 

गम को दरकिनार कर 

खुशियां बिखराने का मन है 


छेड़छाड़ करते हुए 

कुछ रूठने कुछ मनाने का मन है 

कुछ भेद खोलने और 

कुछ राज छुपाने का मन है 

नमी आँखों की खुश्क कर 

सबको गले लगाने का मन है।


थोड़ा हँसने और 

थोड़ा हँसाने का मन है।


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