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Neeraj Kumar Agarwal

Crime Inspirational Thriller

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Neeraj Kumar Agarwal

Crime Inspirational Thriller

शीर्षक - नारी...... राह

शीर्षक - नारी...... राह

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शीर्षक - नारी... राह 
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सच तो यही विश्वास न नर नारी का है।
 घाव‌ तो सबके साथ कुछ कहते हैं।
 नारी पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं।
समाज और समाजिक केवल राय हैं।
हालात और पीड़ा भी तो राह बनती हैं।
जिंदगी और जीवन संग साथ होती हैं।
सच और हकीकत नारी संग पुरुष हैं।
चाहत,, प्रेम ,प्यार और मन भाव होते हैं।
वेदना चेतना संबंध भी हम रखते हैं।
शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक हैं।
जिंदगी और जीवन में अलगाव होते हैं।
हां नीरज शब्दों में कविता वो लिखते हैं।
प्रताड़ना अपराध की वजह क्यों होती है।
हकीकत और सच धन संपत्ति मन भाव है।
न चाहत न प्रेम हम-तुम बस दिखावा करते हैं।
आधुनिक समय का दौर सब खेल हम करते हैं।
नारी और हालात पैसा और मन भाव होते हैं।
जीवन के अंत में हम ख्वाब दूसरों के रखते हैं।
बस यहु आधुनिक समय का नर नारी प्रेम है।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उत्तर प्रदेश में 




नीरज


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