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J P Raghuwanshi

Thriller

4  

J P Raghuwanshi

Thriller

सादगी

सादगी

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सहजता थी, सादगी थी,

बड़ी सरल जिन्दगी थी।


यद्यपि गरीबी थी,

खुशहाल जिंदगी थी।

भोर में निकलती रामधुन,

सायंकाल आरती थी।


पोस्टकार्ड का था जमाना,

मोबाइल तब नहीं था।

नानी-दादी की कहानी,

सत्तू का क्या मजा था।


थे आलू के परांठे,

था आम का अचार।

साथ मनाते थे सब,

तीज और त्योहार।।


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