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Raman Sharma

Thriller

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Raman Sharma

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सत्य क्या है ?

सत्य क्या है ?

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यूं ही किसी का मर जाना, जिंदा होकर भी कब्र में धंस जाना,

फंदे से लटक जाना या फिर ट्रेन के आगे कट जाना,  

सब व्यर्थ है ।

किसी बम धमाके में मर जाना या फिर किसी का खुद को उड़ा लेना, 

ईश्वर के लिए मर जाना या फिर उसके लिए किसी को मार देना, 

सब व्यर्थ है ।

किसी को प्यार हो जाना या फिर प्यार में किसी के मर जाना,

यूं ही किसी पर फना हो जाना, और फिर उसमें खुद का जल जाना, 

सब व्यर्थ है ।

किसी का काले होने पर रोना, या काले से ईर्ष्या हो जाना, 

किसी के ख्वाबों का मर जाना या ख्वाबों के लिए जल जाना,

सब व्यर्थ है ।

सभ्यताओं का आपस में टकराना,राम-रहीम और अल्लाह का बन जाना,

कहीं से ईश्वर का पैदा हो जाना, फिर लोगों का उसके आगे झुक जाना, 

सब व्यर्थ है ।

इस अन्नंत ब्रह्मांड का फैल जाना, आकाश गंगाओं का बन जाना,

ग्रहो और सौर मण्डलं का अस्तित्व में आना, फिर जीवन का उसमें पैदा हो जाना,

यही सत्य है ।

आकाश गंगाओं का आपस में टकराना, ग्रहों का एक दूसरे से भिड़ जाना,

एक जीवन चक्र का खत्म हो जाना, और फिर शून्य का छा जाना,

 यही सत्य है

आकाश गंगाओं का मर जाना, ग्रहों का बनके टूट जाना

इंसानो, जानवरों, पेड़ो, पहाड़ो, समुद्रों का खत्म हो जाना, यही सत्य है, यही सत्य है । 



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