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Kishan Negi

Action Inspirational Thriller

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Kishan Negi

Action Inspirational Thriller

ये कर्मभूमि है

ये कर्मभूमि है

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अँधेरी रातों से कब तक यूँ भागते रहोगे 

,करवटें बदल कर कब तक जागते रहोगे 

काल के कपाल पे अब उसका ही नाम हो 

उधार की सांसें कब तक मांगते रहोगे 


तूफानों के रुख को अब मोड़ना ही होगा 

होंसलों के टूटे धागों को जोड़ना ही होगा 

गफलत में मत रहना कि समंदर शांत है 

लहरों के अहंकार को अब तोड़ना ही होगा 


याचना नहीं अब तो बस रण होना चाहिए 

अंजाम कुछ भी हो मगर भीषण होना चाहिए 

कुरुक्षेत्र का मैदान सजा है वीरों के लिए 

अडिग ईरादों में अर्जुन-सा प्रण होना चाहिए 


प्रश्न ये नहीं अभी कितना और चलना होगा 

प्रश्न ये नहीं धूप में कितना और जलना होगा 

सवाल और भी हैं मगर कुंदन बनने के लिए 

सोने को पहले अग्नि के क्रोध में गलना होगा 


इस भूल-भुलैयाँ में कब तक भटकते रहोगे

इन सूखी लताओं से कब तक लटकते रहोगे 

उलझनों की माला उतारके फेंक दो गले से 

मायावी जाल में कब तक यूँ अटकते रहोगे।


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