सुरसा-संहार
सुरसा-संहार
होता आभासित कुछ ऐसे!
जैसे-
तूफान, आंधी, बवंडर,
जलजला, सैलाब, सुनामी आदि
भीषण त्रासदीजन्य शब्द ये सभी
समा गए हों
उस एक ही शब्द 'कोरोना में'।
जैसे हों सभी,
उसी के ही पर्यायवाची !
उसके अंदर समाहित प्रत्येक ने,
अपने-अपने गुणधर्म व चरित्र से
बना दिया है उसको,
और भी दुःसाध्य !
और भी घातक !
सुरसा की भांति -
दिनोंदिन,
उसका मुँह फैलता ही जाता है।
निगलने को है उद्धत,
मानो संपूर्ण विश्व को ही !
साक्षात काल बनी
इस सुरसा का दमन,
करना ही होगा हमें
हनुमान बन।
हमें उसकी पैशाचिक शक्तियों को
पहचानना होगा।
कोई ब्रह्मास्त्र-सरीखा
अमोघ अस्त्र अब लाना ही होगा।
तभी हो सकेगा
उस पर एक समेकित प्रहार।
तभी हो सकेगा
सुरसा-संघार !
