वीरांगना
वीरांगना




प्रियतम मेरे !मेरा सुहाग भी गर तुम बचा न पाओ,
पर अपना देश बचा लेना, सौगंध है ये !
करती तुमको विदा आज नयनों को भरकर,
सहम-सहम जाता मेरा मन, किन्हीं कुशंकाओं से डरकर।
वेगवान तूफान उठा एक, जैसे अंदर हो प्रलयंकर ।
डिगा न पायेगा मुझको पर, सहज ही अंतर्द्वंद है ये !
पर अपना देश बचा लेना... ... ...
बढ़ना जब कर्तव्य केपथ पर, दुविधा मन में कोई न रखना,
घर की चिंता छोड़ना यहीं, सर्वोपरि स्वदेश को रखना ,
बाबा- माँजी सभी की दुआ, दिल में सदा संँजोए रखना,
मन में संबल बना रखेंगी, पुष्प-सा मकरंद है ये !
पर अपना देश बचा लेना... ... ...
बिटिया को मैं समझा लूंगी, बस विह्वल तुम मत हो जाना,
उठकर सुबह तुम्हें पूँछेगी, कर दूंगी मैं कोई बहाना,
अपने साथ तुम्हारा भी मैं, दूंगी लाड -प्यार, नजराना,
करना बस इतना जब आओ, उसे खिलौने संग ले आना ।
नाजों से पालूंगी उसको, प्रिय, मेरा अनुबंध है ये !
पर अपना देश बचा लेना... ... ...
माँ कहती है, देश को हमने पीढ़ियों से इक सपूत सौंपा है,
कई पीढ़ी से बलिदानों की हमने लिखी शौर्य-गाथा है,
बाबा-दादाजी सबने ही जाँबाजी से युद्ध लड़े हैं,
बन मिसाल दिखलाना ऐसी, इतिहास हमें जो बतलाता है ।
दुश्मन को यह बतला देना, फौज नहीं है चट्टानी प्रतिबंध है ये !
पर अपना देश बचा लेना, सौगंध है ये !
प्रियतम मेरे !मेरा सुहाग भी गर तुम बचा न पाओ,
पर अपना देश बचा लेना, सौगंध है ये !