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Anup Kumar

Abstract

4.9  

Anup Kumar

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शाश्वत सत्य

शाश्वत सत्य

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मानव-शरीर में अवयव कितने,

युगल रूप में पाए जाते,

क्यों पर हृदय एक ही है ?

सोचा कभी, कि ऐसा क्यों है ?

उसमें बसता है वह, जो वह

ईश एक है ! ब्रह्म एक है !

इष्ट और प्रियतम बसता जो,

सिर्फ एक है !

संप्रदाय दुनिया में कितने,

धर्म एक,अध्यात्म एक है !

अंतः सलिला-सी उसमें जो बहती रहती,

मानवता वह होती एक है !

प्रवहमान जो लहू है उसमें,

सब में उसका रंग एक है !

शाश्वत सत्य, चिरंतन सब यह,

होता अतएव तो सदा एक है !! 



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