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Lavkush Yadav "Azal"

Romance Inspirational Thriller

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Lavkush Yadav "Azal"

Romance Inspirational Thriller

अब सूरज और चांद पर हम ग़ज़ल नहीं

अब सूरज और चांद पर हम ग़ज़ल नहीं

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अब सूरज और चांद पर हम गज़ल़ नहीं लिखते,

महबूब से मुलाकात पर अब अज़ल नहीं लिखते।

मेहबानी है लेखनी की इस क़दर मुझ पर,

ख़्वाब भले ही सच हो पर हम सच नहीं लिखते।।


मन मे हक़ीक़त बहुत कुछ समझते हैं,

पर दूसरो के चाँद पर हम नजर नहीं रखते।

मेरा चाँद है एक नायाब अजूबा सुमन,

अब सूरज और चांद पर हम गजल नहीं लिखते।।


ज़ख्म हरे भले हो न हो इस उम्र में,

ये दूरियों के आलम कुछ कम नहीं लगते।

मीठी है हर याद और वो सारे तररनुम के तार,

तुम्हारी यादों के सावन सफल नहीं लगते।।


अब सूरज और चांद पर हम गजल नहीं लिखते,

महबूब से मुलाकात पर अब अज़ल नहीं लिखते। 


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