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Manoj Kumar

Action Thriller

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Manoj Kumar

Action Thriller

शशिबाला

शशिबाला

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हे शशिबाला !

तेरे नयन के अश्रु ;

क्यूँ गिर रहे हैं वसुधा पर

क्यूँ इतना घबराई हैं तू

क्या पहाड़ टूट गया

या कोई छोड़कर गया

क्यूँ बिखरें हैं,

ये अश्रु... !


मुझे भी तो बताओ !

धूमिल रंग हैं,

तेरे चेहरे पर..

कुन्तल बिखरें हैं,

तेरे गाल पर..

गरम- गरम अश्रु

होंठ के पटल पर..

क्या हुआ हैं शशिबाला !


क्यूँ उड़ गए हैं,

तेरे चेहरे से उजाला !

बातें भी मुख से फूटते नहीं

नज़र भी कुछ कहती नहीं,

यहाँ- वहाँ.. !

कुछ मुझसे भी नहीं बोलती

चेहरे पर खुशियाँ भी नहीं बिखरती

मैं भी जानना चाहता हूँ।


मैं दर्द पहचानता हूँ;

इसलिए बोले.. !

हे शशिबाला !

क्यूँ हैं इतनी उदास !

क्यूँ शशि टूटकर बिखर गए..

तेरे चेहरे से !

जो इतनी व्याकुल हो !

जैसे कोई चीज गायब हो गई हो

इसी प्रकार चेहरे की हालत,

बिगड़ी नजर आती हैं।

हे शशिबाला !

क्या हुआ !


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