समझदारी
समझदारी
कुछ तुम मानो
कुछ मैं समझूं
जीवन की आपाधापी में चले
कभी खुशी कभी गम मिला
एक दूसरे को ना छोड़े हम
कुछ सपने मैंने छोड़े
कुछ ख्वाहिशें तुमने तोड़ी
कुछ फैसले गलत मैंने लिए
कुछ फासले तुमने गढ़े
दिन महीनों सालों बीत गए
कभी टोका कभी रोका
कितने अपनों से मिला धोखा
तुम्हारी मेरी उम्र बस यूं ही बीत गई
जीवन की गाड़ी घिस गई
विचारों सपनों का कहां फसाना है।
बीते लम्हों को न वापस आना है ।
समझदारी का नाम देकर
जीवन की गाड़ी खीच गई
बस समझदारी कहकर
जीवन की गाड़ी यूं ही ...