रक्षाबन्धन
रक्षाबन्धन
भाई-बहिन में प्यार सदा हो,
बिल्कुल भी न नफरत हो।
ईशकृपा से पावन रिश्ता,
पुष्पित और पल्लवित हो।
दौलत का व्यवधान न हो,
प्रेम सदा बढता ही जाये।
जग में चाहे कोई रूठे,
यह रिश्ता अनुपम कहलाये।
रहे जगत में मधुरिम वाणी,
क्षारीय को दुत्कार मिले।
बना रहे सौहार्द जगत में,
न्याय कुसुम चंहुओर खिले।
धर्म का पालन करें सभी तो,
नजर प्रभु की सदा मिले।
काल की गति को सब पहचानें,
त्याग भाव भी मन में हो।
यौवन को सद् राह मिले तो,
हासिल सब कुछ सच में हो।
रक्षाबन्धन पर खुशहाली,
देव दुआ हर घर में हो।
