भारत की मैं बेटी हूँ।
भारत की मैं बेटी हूँ।
भारत की मैं बेटी हूँ
भारत का मान बढ़ाऊंगी!
मातृभूमि की माटी से मैं
माथे तिलक लगाउंगी!!
फेंक दुँगी नूपुर पाँव की
बंदूक हाथ उठाऊंगी
तीन रंग के इस चोले को
अपनी चुनर बनाउंगी
लाख-लाख आए दुश्मन
ना पिछे पैर हटाउंगी।
समरभूमि में विजय पताका
भुजबल से लहराउंगी।।
होना है जो, हो जाए...
न संकट में घबराउंगी।
भारत की मैं बेटी हूँ
मैं हर पल यूं मुस्काउंगी।।
कट जाउंगी,मिट जाउंगी
फिर भी वतन बचाऊंगी।
वक़्त पड़ा तो फ़र्ज़ के खातिर
खुद की बलि चढ़ाउंगी।।
देती हूँ मैं एक वचन
ना इसको कभी भूलाउंगी।
देश हित में उठे क़लम पे
अपना शीश झुकाऊंगी।।
