सवाल
सवाल
गूंज रहे कुछ सवाल कब से मन में, खोज रहा हूँ उनके उत्तर,
पूछे सारे सवाल बहुतों से मैंने, सभी हो गए पुरे निरुत्तर।
पहला सवाल “क्यों रहे हम, सैकड़ों वर्षों तक गुलाम”?
“भारतवर्ष था विश्व गुरु, क्यों लुप्त होता गया हमारा ज्ञान”?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को, क्यों, किसने, कहाँ पर मारा?
किसने की आज़ाद की मुखबरी, कौन था उनका हत्यारा?
किसने रचा घोर षड़यंत्र, किया शास्त्री जी का खात्मा?
किसने रचा श्यामाप्रसाद मुख़र्जी की हत्या का घिनौना कारनामा?
क्यों छोटी होती गयी विशाल राष्ट्र की विशाल परिसीमा,
क्या हुआ था ऐसा कुछ, महाराणा को पड़ गया घास फुस खाना?
किसने सोने की चिड़िया भारत के, पंख सारे दिए थे कुतर?
क्यों भगाया गया था कश्मीरी पंडितों को, अपने घर से ही बाहर?
गुरु गोविन्द सिंह के बेटों को किसने, जिन्दा दीवाल में चुनवा दिया?
वीर मराठों की सेना को पानीपत में, अब्दाली से किसने हरवा दिया?
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को भुगतना पड़ा, किनकी गद्दारी का दुष्परिणाम?
कैसे सांसद बन जाते हैं देश में, सेना को हत्यारा कहने वाले “नौजवान”?
वीरों की धरा सहसा बन गयी गुलाम, औरतों को सहना पड़ा भीषण अपमान,
क्यों बन गया कश्मीर एक नासूर, भुगत रहा राष्ट्र आज भी अंजाम।
नेपाल के भारत में विलय प्रस्ताव को, किसने क्यों ठुकरा दिया?
संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सीट के प्रस्ताव को, किसने क्यों भुला दिया?
माँ दुर्गा के लिये अपशब्द कहने का किसी को, कैसे मिलता है दुःसाहस?
देवी देवताओं की गन्दी तस्वीर बनाने का, कैसे हो जाता है साहस?
आतंकी की फांसी रुकवाने को, कौन करता अदालत खुलवाने को आधी रात को मजबूर?
पता तो करें हम कुछ, भारत राष्ट्र की दुर्दशा का किसने किया कसूर?
कैलाश पर्वत और मान सरोवर गए चीन और नानकाना साहेब पहुंचा पाकिस्तान,
किसकी थी यह विषम गलती, आओ करें इस बात का ध्यान।
क्या था भारतवर्ष हमारा, क्या हो गया और क्या है राष्ट्र अभी?
आओ सब मिलकर करें चिंतन और मनन, इस गहन बात पर सभी।
आओ मिलकर प्रण ले सब, लौटा लाएंगे राष्ट्र का, खो रहा अभिमान,
सुधारेंगे सारी पहली गलतियां, तभी लौटेगा देश का विस्मृत सम्मान।
राष्ट्र को मिल रहा वापस पिछले दशक में, विश्व पटल पर अपना खोया मान,
राष्ट्र को मिल रही वापस धीरे धीरे, “सोने की चिड़िया” वाली खोई पहचान।
“मेक इन इंडिया” का बज रहा बिगुल, “आत्म निर्भर भारत” का हो रहा पुनर्जन्म,
राष्ट्रवाद पुनः उभर आया जन मानस में, राष्ट्रभक्ति बन रहा परम धर्म।
टिकी आज निगाहें पुरे संसार की भारत पर, भारत बन रहा फिर विश्वगुरु,
पुराने और नये का हो रहा अद्भुत संगम, एक नयी यात्रा हो गई शुरु।
आज देता हूँ युवाओं को यही एक सन्देश, रखना जिन्दा राष्ट्रवाद,
देश पर मर मिटने की भावना होंगी, तभी रहेंगे राष्ट्र के संस्कार निर्बाध।
मिलकर ले सब एक ही प्रण, रचेंगे हम सब महान विचारों का प्रतिमान,
रखकर प्रगति पथ की नयी एक नींव, करेंगे एक नव भारत का निर्माण।
