ख्वाबों के फूल खिलते हैं
ख्वाबों के फूल खिलते हैं
ख़्वाब सिर्फ़ आँखों मे ही नहीं पलते !
ख़्वाब सिर्फ़ हवाओं में ही नहीं तैरते।
ख़्वाब लगन और मेहनत की बुलंद ..
नींव पर .... टिकते हैं।
ख़्वाब जो आँखों की चमक में दिखते है !
ख़्वाब जो कल्पना को सच में बदलते हैं,
वह ख़्वाब जीवन को नवीन अर्थ देते हैं।
परंपरागत लीक से हटकर चलना भी
ख़्वाब ही ..…..होता है ....
विपरीत दिशा में दृढ़ विश्वास से ..
आगे बढ़ना भी ख़्वाब ही होता है !
ख़्वाब जो जीवन को दिशा देकर,
जीवन की दशा बदलते है...
ख़्वाब जो परिस्थितियो का रोना नहीं रोते !
ख़्वाब जो कर्म को बोझ समझकर नहीं ढोते।
ख़्वाब जो समस्त विरोधाभासी विपरीत स्थितियों में
भी ... ऊर्जा देकर संकल्प को टूटने नहीं देते !
ख़्वाब जो नवीनतम विचारों की श्रृंखला को अवचेतन
मन की क्यारी में उम्मीदों की फसल से लहराते हैं
ख़्वाब सिर्फ़ रुपहली कल्पना से कोमल ही नहीं
लोहे की सलाखों से मजबूत भी होते हैं !
ख्वाबों के फूल सिर्फ नीली आँखों में ही नहीं , सच्चाई
की ज़मीन में भी खिलते हैं
ख़्वाब घुप्प अंधेरे में भी उजाले की कामना करते हैं
ख़्वाब भीगी आँखों के खारे सागर में भी , आशा की
नाव को किनारे की ओर ले जाते हैं ..
ख़्वाब दिल को दिल बनाते हैं, पत्थर नहीं होने देते !
ख़्वाब उदासी के पलों में भी धैर्य को खोने नहीं देते !
ये ख़्वाब ही हैं जो कठपुतली सम इंसान को
इंसान बनाते हैं ....
ये ख़्वाब ही हैं जो इस धरा को धन धान्य से
सम्पन्न शस्य श्यामला पृथ्वी सा सजाते हैं
और नित नवीन भावों, नए विचारों, सकारात्मक सोच
आशावादी दृष्टिकोण को जन्म देते हैं।
