सात्विक मैं.. सात्विक मैं..
सात्विक मैं.. सात्विक मैं..
सत्य का पथिक मैं
नए अन्वेषणों से जूझता
सात्विक मैं सात्विक मैं
प्रचंड विह्वल विद्वेषणा
मेघनाद की गर्जना
मूर्धन्य अभिसप्त सी विवेचना
असीम रचवक्र से रथ लपट
सात्विक मैं सात्विक मैं
प्राकट्य से विभोर तक
अभिमंचनाओं का प्रथम स्पर्श
पूर्ण ज्ञान को स्खलित
पुलकित पुष्पित मेरा दर्श
सात्विक मैं सात्विक मैं
भृकुटियाँ तनी सनी
मृदंग मिनाक्ष सी अपनी काया
कटिप्रदेशों में भटक रहा
एक जठर अग्निवेश की ये माया
सात्विक मैं सात्विक मैं।