नितांत
नितांत
नितांत एकांत नवनीत मनोरम
हरीत छाया कलकीत तपोवन..
तरु पल्लव नदी नाद निनाद
झर झर निरंतर मानुषी विषाद..
नितांत एकांत नवनीत मनोरम
हरीत छाया कलकीत तपोवन..
अगम प्राण निष्ठा अकुलित आह्लाद
कल कल जो गाता प्रबल प्रह्लाद..
नितांत एकांत नवनीत मनोरम
हरीत छाया कलकीत तपोवन..
हर्ष शिला असंख्य भव प्रमाद
धन्य सृष्टि वर्षा कल्पित प्रसाद..
नितांत एकांत नवनीत मनोरम
हरीत छाया कलकीत तपोवन..
नितांत एकांत नवनीत मनोरम।
