..तुम ही सुभाष हो !!
..तुम ही सुभाष हो !!
गर अपनी आवाज सुन सको अब,
तब तुम सुभाष हो।
गर दिलोजान से जी सको अब,
तब तुम ही सुभाष हो।
अपने को अपना गर जान सको अब,
तब तुम सुभाष हो।
गर सब कुछ जान कर निकल पड़ो चाक-चौबारों से अब,
तब तुम भी सुभाष हो।
झुठला सको गर झूठी शान मान मनव्वल को,
तब तुम भी सुभाष हो।
माँ जो बंधन में थी तब.. अब उलझन में है,
समझ सको गर इस सार-गर्भ को,
तब तुम ही सुभाष हो।
रणदेवी के पूर्ण संघर्ष में.. गर अपना शीर्ष चढ़ा सको अब,
तब तुम ही सुभाष हो।
पहले थे हम काले-गोरे.. अब जात-पात में बँट चुके..
गर इस भेद को मिटा सको अब,
तब तुम ही सुभाष हो।
तुम्हारे विचारों की फौज.. गर बोध करवाए अब सद्भाव-देशप्रेम को,
तब तुम ही सुभाष हो.. तुम ही सुभाष हो!!
जय हिन्द.. जय भारत हो!!